जीवन “गणित” है।
सांसें “घटती” है
अनुभव “जुड़ते” है।
अलग अलग “कोष्ठकों” में
बंद हम
बुनते रहते हें “समीकरण” ।
लगाते रहते हैं “गुणा”- “भाग”।
जबकि
अंतिम सत्य “शून्य है”।।
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VISHWAS
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